“होली में कैलाश पर रंग बरसे” – महादेवक रंग महोत्सव
हिमाच्छादित कैलाश पर्वत, जतय महादेव स्वयं बसै छथि, ओ दिन विशेष रहै, जतय प्रकृति सेहो शिव भक्ति में रंगीन भ’ जाइत अछि। रंगक एहन उत्सव, जतय कैलाशक सफेद बर्फ आकाशसँ झहरैत अबीर आ गुलालसँ रंगल, एहि दृश्य के देखिते हृदय भक्तिमय भ’ जाइत अछि।
🔹 कैलाश पर रंगक बौछार
एहि दिन कैलाश पर बर्फ नहि, बल्कि रंग बरसैत अछि। देवगण, ऋषि-मुनि, सिद्ध-संत, भूत-प्रेत, पिशाच आ स्वयं शिवगण सब केशरी, गुलाबी, हरिअर, नील रंगसँ महादेवक जयकार करैत छथि। वातावरण में गूंज रहल अछि –
“हर हर महादेव! बम बम भोले!”
गंगा महादेवक जटा स निकलि, एहन प्रतीत होइत अछि जे ओहो रंग में नहा गेल छथि।
🔹 महादेव आ माता पार्वतीक दिव्य सौंदर्य
शिवशंकर अपन जटा खोलि, अबीरक बादर में नाचि रहल छथि। हुनकर मस्तक पर शोभित चंद्रमा सेहो रंगसँ रंगल बुझाइत अछि। माता पार्वती हँसैत-हँसैत शिव पर गुलाल फेंकैत छथि, आ महादेव हृदयसँ प्रसन्न भ’ हुनका स्नेहसँ निहारि रहल छथि। हुनकर रूप सोने सन दमकै रहल अछि।
🔹 शिवगणक नृत्य आ होलीक उल्लास
नंदी बैल, भैरवनाथ, वीरभद्र, गणेश, कार्तिकेय संग भूत-प्रेत आ देवता सब मिलि, शिव-पार्वती संग आनंदमय नृत्य क’ रहल छथि। डमरू-नगाड़ाक गूंज आ आनन्दक स्वर कैलाशक गगन फाड़ि रहल अछि।
🔹 रंगक आकाशीय वर्षा
इंद्रदेव स्वयं देवताओं संग कैलाश पर रंगक वर्षा करैत छथि। साक्षात् ब्रह्मांड सेहो एहनो अलौकिक होली देखि रोमांचित भ’ रहल अछि। कैलाशक फिज़ा में अबीरक सुगंधि फैलि गेल अछि।
🔹 शिव तांडव – प्रेम आ भक्ति संग रंगक ज्वाला
रंग आ भक्ति देखिते महादेव अपन तांडव प्रारंभ करैत छथि। हुनकर डमरू बजैत अछि, आ धरती हिल’ लगैत अछि। आकाशसँ अग्नि आ जलक बौछार संग रंगक धार बह’ लगैत अछि। भक्तगण हुनकर चरण में गिरि, शिव नामक जयकार करैत छथि।
🌺 कैलाश पर एहन अनुपम रंग महोत्सव अद्भुत आ अविस्मरणीय होइत अछि। प्रकृति सेहो शिव प्रेम में रंगायल प्रतीत होइत अछि। होली में कैलाश पर रंग बरसे, ई केवल पर्व नहि, बल्कि शिव भक्ति आ प्रेमक सागर थिक!
हर हर महादेव!
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