होली मे कैलाश पर रंग बरसे
होली केवल पृथ्वी पर नहि, बल्कि स्वर्ग आ कैलाश पर्वत पर सेहो उल्लासपूर्ण ढंग सँ मनाओल जाइत अछि। ई पौराणिक मान्यता अछि जे भगवान शिव, माता पार्वती आ समस्त देवता कैलाश पर्वत पर रंग-अबीर संग होली खेलैत छथि। एहि अवसर पर संपूर्ण कैलाश धाम गुलाल, भक्ति, नृत्य आ संगीत सँ भरि जाइत अछि।
🕉 कैलाश पर होली खेलेबाक कथा
पौराणिक कथा अनुसार, एक बेर माता पार्वती भगवान शिव संग होली खेलेबाक इच्छा जाहिर केलथिन। मुदा महादेव ध्यानस्थ छलाह। पार्वती जी देवताओं सँ सहयोग मांगलथिन, आ सभ देवतागण कैलाश पर जुटि गेलाह।
भगवान विष्णु, नारद मुनि, इंद्र, कार्तिकेय, गणेश, ऋषि-मुनि सभ मिलिकय शिव जी के होली खेलेबाक लेल प्रेरित केलथिन। भगवान शिव अपन ध्यान सँ बाहर आयलाह आ होली खेलेबाक लेल राजी भेलाह।
🌸 कैलाश पर रंग-अबीर के उत्सव
🔹 भगवान शिव पर भक्तजन गुलाल चढ़बैत छथि।
🔹 माता पार्वती संग शिवजी रंग-अबीर उड़बैत छथि।
🔹 गणेश जी आ कार्तिकेय संग गंधर्व-किन्नर नृत्य करैत छथि।
🔹 डमरू, मृदंग, झाल, वीणा आ बाँसुरी केर मधुर ध्वनि गुंजित होइत अछि।
🔹 नंदी-बैल आ कैलाश पर निवास करयवला सभ शिवगण मस्ती मे झूमैत छथि।
“हर हर महादेव” केर जयघोष संग संपूर्ण कैलाश पर्वत भक्ति आ आनंद मे डूबल रहैत अछि।
🎶 कैलाश पर होली केर प्रसिद्ध भजन
मिथिला मे शिव-पार्वती केर होली पर कईटा भक्तिमय गीत प्रसिद्ध अछि, जइमे किछु एहि प्रकार अछि:
1️⃣ “रंग बरसे कैलाश धाम में, शिव खेलथि फगुआ संग पार्वती जी के।”
2️⃣ “भोले के संग खेलयली होरी, कैलाश गगन में गूँज रहल छय ढोल-नगारा।”
3️⃣ “गुलाल उड़े कैलाश में, शिव शंकर खेलय फगुआ।”
🔱 कैलाश पर होली आ मिथिला होली में समानता
विषय | कैलाश पर होली | मिथिला मे होली |
---|---|---|
कहाँ खेलेल जाइत अछि? | कैलाश पर्वत, शिवलोक | मिथिला क्षेत्र, घर-घर |
कौन खेलेल छथि? | भगवान शिव, पार्वती, देवता | परिवार, मित्र, समाज |
संगीत | शिव भजन, डमरू, मृदंग | राम-केलि होली, लोकगीत |
रंग-अबीर | गुलाल, चंदन, भस्म | अबीर, रंग, गुलाल |
🔱 निष्कर्ष
कैलाश पर होली खेलेबाक कथा मिथिला मे भक्तिक संग सुनाओल जाइत अछि। ई केवल रंगक खेल नहि, बल्कि भक्ति आ अध्यात्म केर उत्सव थीक। भगवान शिव के संग पार्वती जी के होली खेलेबाक कथा भक्तजन केँ यहि पावन पर्व मे भक्ति आ श्रद्धा सँ भरि दैत अछि।